22 May, 2021 |
संजय गाँधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के छोटे पुत्र थे । उनके पिता का नाम फिरोज गाँधी था । आपात काल के दौरान इंदिरा गाँधी की राजनीति चमकने में संजय गाँधी की अहम भूमिका रही थी और उन्हें इंदिरा गाँधी का राजनीतिक उतराधिकारी समझा जाने लगा था । लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था और उनकी मृत्यु अल्पायु में ही एक विमान दुर्घटना में हो गई । अपने पीछे वह अपनी पत्नी, मैनका गाँधी , पुत्र वरुण गाँधी को छोड़ गए ।
संजय गाँधी एक युवा राजनेता के रूप में उभरे थे । वह नेहरु गाँधी परिवार से सम्बन्ध रखते थे इसलिए उन्हें किसी भी क्षेत्र में अधिक महेनत करने की जरूरत नहीं पड़ी । वह ऑटो मोबाइल इंजिनियर बनना चाहते थे लेकिन वह इंजीनियर नहीं बन सके । उसके बाद उन्होंने अपने बड़े भाई राजीव गाँधी की तरह कमर्शियल पाईलट बनने की सोची पर यह काम भी उन्हें रास नहीं आया । हाँ इस दौरान वह हेलीकाप्टर उड़ाना और उसके साथ कलाबाजी करना सीख गए । हेलिकप्टर उड़ान उसके साथ कलाबाजी करना ही उनका शौक बन गया । यही शौक उनकी जान भी ले बैठा और अपने साथ फ्लाईंग क्लब प्रशिक्षक सुभाष सेना को भी ले डूबे । उनका हेलिकप्टर क्रेश हुआ उस समय संजय हेलिकप्टर उड़ा रहे थे और कलाबाजी दिखा रहे थे । उस समय सुभाष शिवसेना सुरक्षा का जिम्मा सम्भाल रहे थे । लेकिन संजय गाँधी के लिए सुरक्षा के नियम कोई मायने नहीं रखते थे इसी कारण उनका हेलिकप्टर क्रेश हो गया ।
संजय गाँधी में राजनेता बनने के सभी गुण विद्यमान थे इसलिए वह राजनेता बनने में बड़े पद पर आसीन होना चाहते थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी इनकी माता ने उस समय मारुती कार फैक्टरी लगाई । यह फैक्टरी एक ऐसी कार बना रही थी जो आम लोगों की पहुंच में थी । उस समय उस मारुती उद्योग का मनेजिंग डायरेक्टर राजीव गाँधी को बनाया गया था तब मारुति उद्योग को बहुत ही घाटे का सामना करना पड़ा । फिर राजीव की मृत्यु के बाद कंपनी को जापान की कार बनाने वाली कम्पनी सुजुकी के साथ हाथ मिलाना पड़ा तब नाम मारुति सुजुकी पड़ा जो आज भारत में सबसे अधिक कार बनाने वाली कम्पनी है ।
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