हरिवंशराय बच्चन ने क्या खूब लिखा है यहाँ सब कुछ बिकता है, दोस्तों रहना जरा संभल के| बेचने वाले हवा भी बेच देते है, गुबारों में डाल के| सच बिकता है, झूट बिकता है, बिकती है हर कहानी | तीन लोक में फैला है, फिर भी बिकता है बोतल में पानी | कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे, टूट कर बिखर जाओगे | जीना है तो पत्थर की तरह जियो, जिस दिन तराशे गए उसदिन "खुदा" बन जाओगे |