मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की। जय हो हसबैंड, तेरी जय जय हो... जय हो हसबैंड, तेरी जय जय हो... बड़ी पूँजी है बड़ा-बड़ा कैश इसके बटुए में। जिंदगी के हैं सारे ऐश इसके बटुए में।। क्यूँ न झाँकूँ मैं बारम्बार इसके बटुए में। दिखे हर घड़ी माल और बाजार इसके बटुए में।। नृत्य करूँ झूम-झूम, बटुए को चूम-चूम, बेलन ना मारूँ, आज इसे बेलन ना मारूँ रे... मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।। सदा होती है जय-जयकार मेरे हसबैंडवा की। पर नारी पे टपके ना लार मेरे हसबैंडवा की।। हो सबसे निराली कार मेरे हसबैंडवा की। कभी इज्जत न हो तार-तार मेरे हसबैंडवा की।। जो कमाए मुझे दे दें, जो भी दूँ हँसके ले ले स्वामी पुकारूँ रे... कल ‘ टामी ’ पुकारूँ रे... मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की।। हम हैं पत्तल तो तुम दोना, पति परमेशवरजी। हमसे कभी ना खफा होना, पति परमेशवरजी।। हम जो मारें तो मत रोना, पति परमेशवरजी। सबके कपडे सदा धोना, पति परमेशवरजी।। नौकर तुम, जोकर तुम, शोफर तुम, शौहर तुम आठ आने वारूँ रे, तुम पे आठ आने वारूँ रे।। मैं तो आरती उतारूँ रे, हसबैंड प्यारे की.... मैं तो आरती उतारूँ रे, बच्चों के पापा की। जय हो हसबैंड, तेरी जय जय हो... जय हो हसबैंड, तेरी जय जय हो।।